उत्तर प्रदेश
अमेठी 1 अक्टूबर 2019 जनता की समस्याओ के निराकरण के लिए जन सुनवाई के अलग अलग तरीके सरकार द्धारा अपनाये गये है पर हकीकत यह है कि शिकायत प्रार्थना पत्रो का निस्तारण महज खाना पूर्ति है
पुलिस विभाग मे आने वाले शिकायत प्रार्थना पत्रो को लेकर सिपाही ,दरोगा पीडित के घर पहुच जाते है पर राजस्व कर्मी जेब भरने का इंतजार करते रहते है और आखिर मे बंद कमरे मे बैठ झूठी रिर्पोट लगा शिकायतो का निस्तारण कर देते है यह किसी एक तहसील का नही पूरे जिले का एक ही हाल है
जिलाधिकारी का आफिस भी इसी का शिकार हो गया है अगर जिलाधिकारी प्रशांत शर्मा जन सुनवाई मे मौजूद है तो वे लोगो की बात को सुनते समाथान कराने का प्रयास करते है अगर वे कही बाहर है और जन सुनवाई मे एडीएम एंव एस डी एम गौरीगंज मौजूद है तो मान लो अधिकारी नही कोई ताना शाह बैठा है वहा जन सुनवाई के नाम पर केवल कागजी कोरम पूरा होता है पीडित की बात तक नही सुनी जाती है
कई फरियादियो ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि एस डी एम गौरीगंज तो जन सुनवाई के दौरान भी दलालो एंव चापलूसो से घिरे रहते है जनता की फरियाद सुनने के बजाय दलालो से बाते करने मे ज्यादा दिलचस्पी रखते है जिलाधिकारी के न रहने पर फरियादियो को निराश होकर उनके दरबार से लौटना पडता है।
वर्तमान न्यूज़ से
आशीष पांडेय