उत्तर प्रदेश
रायबरेली, 23 अक्टूबर, 2019!
सेन्ट्रल बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष एवं वरिष्ठ समाजवादी नेता ओ.पी. यादव ने कहा कि जिला प्रशासन ने अतिक्रमण हटाने के नाम पर हजारों गरीबों की रोजी रोटी छीन ली। यह अवश्य रहा कि अतिक्रमण की जद में आने वाले रसूखदारों की सम्पत्तियों को प्रशासन ने खरोच तक नहीं आने दी। अतिक्रमण हटाने की शहर में मिली जुली प्रतिक्रियायें भी आयी लेकिन विरोध के स्वर नक्कारे में तूती की आवाज की तरह दब गये।
देखते ही देखते अतिक्रमण हटाने के लिए युद्ध स्तर पर प्रशासन द्वारा की गयी कार्यवाही का असली चेहरा सामने आ गया। शहर की सड़कों के किनारें स्थित सरकारी इमारतों की बाऊण्ड्रीवाल से सटे जो पटरी दुकानदार रोजी रोटी कमाकर अपने बच्चों का पेट भरते थे, बूढ़े माँ-बाप की दवा इलाज कराते थे, उनहें बेरोजगार कर दिया, लेकिन प्रशासन को अतिक्रमण से अधिक बाऊण्ड्रीवाल खाली करानी थी, जिससे उस बाऊण्ड्रीवाल पर अपने चहेतों को काम देकर उस पर चित्रकारी कराई जा सके, जिससे अपनों की तिजोरी भरी जा सके। क्या फर्क पड़ता है कि इसमें हजारों गरीबों की रोजी छिन जाये। ''इक निवाले की खातिर उसने जिसे मार दिया, वह परिंदा भी कई दिनों का भूखा निकला''
यहाँ कुछ लोग यह कह सकते हैं कि शहर की सजावट के लिए सरकारी बाउन्ड्रियों पर कलात्मक चित्रकारी आवश्यक है, मैं भी इसे मानता हूँ, लेकिन यह चित्रकारी तब अच्छी लगेगी जब गड्ढा मुक्त सड़कें हों। यहाँ तो गड्ढों में सड़क ढूँढनी पड़ती हैं सीवर लाइन ठीक हो, सड़कों पर स्वच्छता हो, लोगों को पीने का शुद्ध पेय जल मिले। पार्किंग की उचित व्यवस्था हो। इन समस्याओं का निदान किये बगैर यह सजावट बेईमानी है। यह ठीक उसी प्रकार है जैसे किसी भूखी महिला को भोजन देने के बजाय ब्यूटी पार्लर में सजाया जाय।
श्री यादव ने प्रशासन से माँग की है कि जनता के पैसे का दुरूपयोग रोका जाये। सजावट का कार्य तब तक के लिए रोक दिया जाये, जब तक आम जनता की मूलभूत समस्याओं का निराकरण नहीं हो जाता। वर्तमान न्यूज़ सेे आशीष पांडे की रिपोर्ट