मैनपुरी। जिला मैनपुरी के अर्न्तगत आने वाली सड़कों के लिए कहा जाता है कि बनती बाद में है उखड़ पहले जाती है। पीडब्ल्यूडी विभाग ने अब इसका तोड़ खोज लिया है। अब जिले की सड़कें जल्दी खस्ताहाल नहीं होगी। मैनपुरी में इसका पहला प्रयोग शुरुआत मैनपुरी कुरावली मार्ग पर स्थित ग्राम राजल पुर से होगी। पहली बार होने जा रहे इस प्रयोग के लिए सड़क के 1.1 किलोमीटर लंबे जर्जर टुकड़े को चुना गया है।
लोक निर्माण विभाग ने प्लास्टिक के इको फ्रेंडली इस्तेमाल का तरीका खोज उससे सड़क बनाने का फैसला लिया है। फिलहाल इसका इस्तेमाल राजल पुर में 1.1 किलोमीटर लंबी पर किया जाएगा। इसके निर्माण में लगभग 10 लाख 66 हजार रुपए की लागत आएगी। अधिशासी अभियंता निर्माण खंड अनिल कुमार का कहना है इस मार्ग को विशेष मरम्मत मार्ग में शामिल कराया गया है। यदि यह प्रयोग सफल रहा तो दूसरी सड़कों में भी इसका इस्तेमाल होगा। विशेषज्ञों के मुताबिक यही सड़क अगर परंपरागत तरीके से बनाई जाए तो उस पर करीब 8 लाख तक का खर्च आएगा। लेकिन प्लास्टिक की गुणवत्ता डामर से अधिक होती है। आगरा में भी ऐसी ही एक सड़क बनाने का प्रस्ताव पास हो चुका है।
इंजीनियरिंग का कमाल देखने को मिलेगा
अधिशासी अभियंता लोक निर्माण विभाग का कहना है कि प्लास्टिक के कचरे से सड़क बनाने में 10 फीसद तक डामर की बचत होती है। एक टन प्लास्टिक कचरे से लगभग लगभग 3 मीटर चौड़ी 1 किलोमीटर लंबी सड़क बनाई जा सकती है। इस प्रक्रिया में प्लास्टिक के टुकड़ों को पिघलाकर गिट्टी के साथ मिलाया जाता है। इस बात का ध्यान रखना जरूरी है कि तापमान 160 से 170 डिग्री सेल्सियस के बीच ही होगा। इससे ज्यादा पर मिश्रण के चिपकने की क्षमता प्रभावित होगी। लगभग 10 किलो डामर में 9 से 10 फीसद तक प्लास्टिक के मिश्रण को मिलाया जाएगा।